रह़मान या रह़मान

रह़मान या रह़मान रमज़ान, रमज़ान, रमज़ान, रमज़ान रह़मान या रह़मान, तेरी ऊँची मौला शान तूने हमको दिया रमज़ान, इस में उतरा क़ुरआन है ये तेरा एहसान तू सब ही का दाता है, तू सब ही को देता है सदक़े में मुह़म्मद के तू झोलियाँ भरता है मेरा है ये ईमान रह़मान या रह़मान, तेरी ऊँची मौला शान … Read more

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन, मिस्ले तो न शुद पैदा जाना जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शहे दो सरा जानाअल-बह़रू अ़ला वल-मौजु त़गा, मन बे कसो तू़फ़ां होशरुबा मंजधार में हूं बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना या शम्शू नज़रति इला लैली, चू ब त़यबा रसी … Read more

वज़ाइफे ग़ौसिया

वज़ाइफे ग़ौसिया   _________________ “या शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी शैयन लिल्लाह”:– का वज़ीफ़ा हमेशा से बुजुर्गाने दीन के मामूलात से रहा है किसी मुसीबत या तकलीफ़ में हुज़ूर गौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को याद करने से तमाम मुसीबतें और परेशानियां दूर हो जाती हैं,हुज़ूर गौसे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु खुद इरशाद फरमाते हैं कि … Read more

समझना यह नहीं आसां कि क्या अख्तर रजा तुम हो

समझना यह नहीं आसां कि क्या अख्तर रजा तुम हो   समझ में बस यही आया सुन्नियों के पेशवा तुम हो     तुम्हें इस वक्‍त हो कायम मकामे मुफ्तीए आजम   बिला शक जानशीने मुस्तफा, अख्तर रजा तुम हो     रजा का हुज्जतुल इस्लाम का मुफ़्तीए आजम का   है जिनमें अक्स उनसबका … Read more

सय्यदी अन्त हबीबी (मुद्दआ़ ज़ीस्त का मैंने पाया)

सय्यदी अन्त हबीबी (मुद्दआ़ ज़ीस्त का मैंने पाया) सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी अन्त हबीबी मुद्दआ़ ज़ीस्त का मैंने पाया रह़मते-हक़ ने किया फिर साया मेरे आक़ा ने करम फ़रमाया फिर मदीने का बुलावा आया पेहले कुछ अश्क बहा लूं तो चलूं एक नई नात सुना लूं तो चलूं सय्यदी अन्त हबीबी, सय्यदी … Read more

सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं

सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैंबोले हुसैन, मौला ! तेरी रिज़ा की खातिर एक एक कर के मैंने हीरे लुटा दिये हैंदीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं ज़हरा के नाज़-पाले, फूलों पे सोने वाले करबल की ख़ाक पर वो … Read more